वर्तमान राजनीति
नेतागिरी वनाम राजनीति
समाज के निति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कारको में सामिल राजनीति आज किस मुहाने पर आके खड़ा हो गया है जो बहुत ही चिंतनीय है आज का नेता जो खुद को राजनीती का ब्रांड अम्बेसडर समझता है खुद अपने विकाश के बारे में सोचने में लगा है जनता के विकास की क्या खाक चिंता है गांवके निर्वाचित सदस्य से लगायत संसद के सदस्य तक ये जानते है की जब चुनाव आएगा जनता को अपने पच्छ में करने केलिए कौन सी चल चलनी है तब तक क्यों न अपना विकास कर लिया जाय पुरे कार्यकाल में जनता को प्रताड़ित करना तो मनो परम्परा सी बन गयी है बर्तमान राजनीती में बहुत ही तेजी से प्रयोग में लायाजाने वाला विधा विद्यमान हो गया है जो है जुमला इसका तात्पर्य ऐसा वादा जो कभी निभाया न जाय जिसे भारत का चुनाव आयोग कभी ना किये जाने का हिदायत देती थी जो आचर संघिता का उलंघन मना जाता था आज पुरे जोर सोर से सभी राजनैतिक दल इसका उपयोग करने लगे है राजनेता व् राजनीती की गीरती शाख का एक महत्वपूर्ण कारण विरोध की नेतागिरी\राजनीती का न होना भी है हर वो व्यक्ति जो राजनीती में दिलचस्पी रखता है निर्वाचित व्यक्ति के कमियों को जानते हुवे भी आवाज नही उठाता उसके पीछे का कारण जो भी हो सीधे कहा जाय तो मजबूत विपछ का नहोना
इन तमाम कारणों के बाद जब चुनाव आता है तो बड़ी बड़ी राजनीतिक दल छेत्रिय नेताओ को एक जुट करने में लग जाती है जातिगत नेता ,सम्प्रदाय गत नेता, महिला नेता, छात्र नेता, युवानेता ,आदि तमाम नेताओ को जोड़ तोड़ कर कल बल छल आदि का उपयोग करके किसी प्रकार चुनाव जित कर सरकार बनाने का पुरजोर प्रयास होता है सरकार बन जाये या न बने दोनों दसा में चुनाव के समय सक्रिय किये गये नेताओं को ये दल भूल जाते है इतना ही नही जिन नेताओ के जित में कारक बने होते है उन्ही नेतावो के दरवाजे पर ये नेताजी लोग निर्वाचित नेता के बाहर निकलने का इंतजार करते नजर आते है इंतजार केबाद भी निर्वाचित नेताओ के पास समय का आभाब होता है निर्वाचित नेता राजनेता हो जाता है जिनके सहयोग से विजय श्री मिली वो नेता ही रह जाते है अपनी नेतागिरी चमकाए रहते है क्योकि उन्हें भी पता होता होता है की अगला चौथा साल फिर उनका होगा
हमेशा विजय रजनीति का होता है नेतागिरी जहाँ है वही
जय जय जय भारत की नेतागिरी
जय जय जय भारत की राजनीती